पुजारा और रहाणे ने घरेलू क्रिकेट में दिखाया जुनून: संजय बांगर की रोहित-विराट पर टिप्पणी

संजय बांगर की रोहित-विराट पर टिप्पणी

बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी BGT में भारत की निराशाजनक हार के बाद, क्रिकेट विशेषज्ञ संजय बांगर और दीप दासगुप्ता ने टीम के प्रदर्शन पर गंभीर समीक्षा की। उन्होंने बल्लेबाजी क्रम की कमजोरियों, गेंदबाजी में निरंतरता की कमी और टीम की रणनीति में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया।

संजय बांगर ने कहा कि कप्तान रोहित शर्मा और स्टार बल्लेबाज विराट कोहली जैसे अनुभवी खिलाड़ियों को न केवल अपने प्रदर्शन से टीम को प्रेरित करना होगा, बल्कि घरेलू क्रिकेट और अन्य प्रारूपों में भी लगातार खेलकर अपनी लय बनाए रखनी चाहिए। वहीं, दीप दासगुप्ता ने टीम चयन और खिलाड़ियों की मानसिकता पर सवाल उठाए, खासकर महत्वपूर्ण मुकाबलों में दबाव से निपटने की उनकी क्षमता पर।

दोनों विशेषज्ञों ने यह भी सुझाव दिया कि युवा खिलाड़ियों को अधिक मौके दिए जाने चाहिए, ताकि वे बड़ी जिम्मेदारियों के लिए तैयार हो सकें। उन्होंने यह भी कहा कि टीम को आने वाले दौरे और टूर्नामेंट में प्रदर्शन सुधारने के लिए सामूहिक रूप से कड़ी मेहनत करनी होगी।

संजय बांगर: रोहित शर्मा में अभी भी खेल के लिए भूख बाकी है

भारत के पूर्व मुख्य कोच संजय बांगर ने अनुभवी खिलाड़ियों, जैसे रोहित शर्मा, के लिए भूख और दृढ़ संकल्प के महत्व पर जोर दिया। रोहित के हालिया संघर्षों पर चर्चा करते हुए बांगर ने कहा:

“जब आप 37 साल के होते हैं, तो हर असफलता और भी ज्यादा चुभती है क्योंकि एक क्रिकेटर अपने अंदर बहुत गर्व महसूस करता है। रोहित को खुद से यह सवाल पूछना चाहिए कि क्या उनके अंदर अभी भी टेस्ट क्रिकेट में प्रतिस्पर्धा करने की भूख बची है। अगर हां, तो उस भूख को प्रदर्शन में बदलना होगा। चेतेश्वर पुजारा और अजिंक्य रहाणे जैसे खिलाड़ी, जो उनके समान स्तर के हैं, ने भी कठिनाइयों का सामना किया है, लेकिन उन्होंने घरेलू क्रिकेट में मेहनत करके अपनी दृढ़ता दिखाई है। आज भी वे घरेलू मैदानों पर पसीना बहा रहे हैं, जो अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से एक बड़ा कदम नीचे है।”

बांगर ने रोहित की मंशा पर बात करते हुए कहा: “रोहित ने यह दिखाया है कि वह खेल को लेकर कितने गंभीर हैं। उन्होंने कहा है, ‘मैं अभी कहीं नहीं जा रहा हूं; मुझे खेलना है।’ लेकिन इस इरादे को साबित करने के लिए उन्हें घरेलू क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन करना होगा। केवल निरंतर फॉर्म ही उनकी भूख का प्रमाण होगी।”

दीप दासगुप्ता का नजरिया

दीप दासगुप्ता ने टीम चयन और खिलाड़ियों की मानसिकता पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि भारतीय टीम महत्वपूर्ण मुकाबलों में दबाव झेलने में असफल रही। उन्होंने सीनियर खिलाड़ियों की भूमिका पर जोर देते हुए कहा कि उन्हें अपने अनुभव का उपयोग टीम को प्रेरित करने में करना चाहिए।

दासगुप्ता ने यह भी कहा कि युवा खिलाड़ियों को अधिक मौके देने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि यदि टीम नई प्रतिभाओं को तैयार करने में असफल रहती है, तो भविष्य में प्रदर्शन सुधारना मुश्किल हो सकता है।

संजय बांगर की रोहित-विराट पर टिप्पणी

भविष्य की राह

दोनों विशेषज्ञों का मानना है कि टीम को अपनी रणनीतियों में बदलाव लाना होगा। खिलाड़ियों को मानसिक और शारीरिक तौर पर मजबूत बनाने के लिए घरेलू क्रिकेट में लगातार खेलना जरूरी है। इसके अलावा, युवा खिलाड़ियों को अधिक जिम्मेदारी देकर उनके आत्मविश्वास को बढ़ाने की आवश्यकता है।

संजय बांगर ने रोहित शर्मा की भूख और इरादों का जिक्र करते हुए कहा,
“रोहित ने साफ किया है कि वह खेलना जारी रखना चाहते हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं कहीं नहीं जा रहा हूं; मुझे खेलना है।’ लेकिन इस भावना को साबित करने के लिए घरेलू क्रिकेट में प्रदर्शन करना जरूरी है। केवल निरंतर फॉर्म ही उनकी भूख का सबूत दे सकती है।”

निष्कर्ष

बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में भारत की हार ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि टीम को अपने प्रदर्शन में निरंतरता लाने और खिलाड़ियों की मानसिकता को मजबूत करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। सीनियर खिलाड़ियों को अपनी भूख और जज्बे को प्रदर्शन में बदलकर टीम का नेतृत्व करना होगा, जबकि युवा खिलाड़ियों को अवसर देकर उन्हें बड़ी जिम्मेदारियों के लिए तैयार करना होगा।

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